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काव्य खंड- महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (कक्षा 10 हिंदी) Flipbook PDF

काव्य खंड- महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (कक्षा 10 हिंदी)


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महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – काव्य खंड (द्ववतीय सत्र 2021-22) कक्षा : दसवीं पाठ्यक्रम ‘अ’

1. उत्साह (सूयक ण ांत त्रत्रपाठी ननराला)

कविता का भािार्थ:- प्रस्तुत कविता एक आह्िाहन गीत है । इसमें कवि बादल से घनघोर गर्थन के

सार् बरसने की अपील कर रहे हैं। बादल बच्चों के काले घुुंघराले बालों र्ैसे हैं। कवि बादल से बरसकर सबकी प्यास बझ ु ाने और गरर् कर सुखी बनाने का आग्रह कर रहे हैं। कवि बादल में निर्ीिन प्रदान

करने िाला बाररश तर्ा सबकुछ तहस-नहस कर दे ने िाला िज्रपात दोनों दे खते हैं इसललए िे बादल से अनुरोध करते हैं कक िह अपने कठोर िज्रशक्तत को अपने भीतर छुपाकर सब में नई स्फूर्तथ और नया र्ीिन डालने के ललए मूसलाधार बाररश करे ।

आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादल को दे खकर कवि को लगता है की िे बेचैन से हैं तभी उन्हें याद आता है कक समस्त धरती भीषण गमी से परे शान है इसललए आकाश की अनर्ान ददशा से आकर कालेकाले बादल पूरी तपती हुई धरती को शीतलता प्रदान करने के ललए बेचैन हो रहे हैं। कवि आग्रह करते हैं की बादल खब ू गरर्े और बरसे और सारे धरती को तप्ृ त करे ।

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

1. कवव बादल से फुहार, ररमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के ललए कहता है , क्यों?

उत्तर:- कवि ने बादल से फुहार, ररमझझम या बरसने के ललए नहीुं कहता बक्कक ‘गरर्ने’ के ललए कहा

है ; तयोंकक ‘गरर्ना’ विद्रोह का प्रतीक है । कवि ने बादल के गरर्ने के माध्यम से कविता में नूतन विद्रोह का आह्िान ककया है ।

2. कववता का शीर्णक उत्साह क्यों रखा गया है ? उत्तर:- यह एक आह्िान गीत है । कवि क्ाुंर्त लाने के ललए लोगों को उत्सादहत करना चाहते हैं। बादल का गरर्ना लोगों के मन में उत्साह भर दे ता है । इसललए कविता का शीषथक उत्साह रखा गया है । 3. कववता में बादल ककन-ककन अथों की ओर संकेत करता है ?

उत्तर:- कविता में बादल र्नम्नललझखत अर्ों की ओर सुंकेत करता है – 1. र्ल बरसाने िाली शक्तत है ।

2. बादल पीडड़त-प्यासे र्न की आकााँक्षा को पूरा करने िाला है ।

3. बादल कवि में उत्साह और सुंघषथ भर कविता में नया र्ीिन लाने में सकक्य है ।

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2. अट नह ं रह (सूयक ण ांत त्रत्रपाठी ननराला)

कविता का भािार्थ:-प्रस्तत ु कविता में कवि ने फागन ु का मानिीकरण चचत्र प्रस्तत ु ककया है । फागन ु

यानी फ़रिरी-माचथ के महीने में िसुंत ऋतू का आगमन होता है । इस ऋतू में पुराने पत्ते झड़ र्ाते हैं और नए पत्ते आते हैं। रुं ग-बबरुं गे फूलों की बहार छा र्ाती है और उनकी सुगुंध से सारा िातािरण महक उठता है । कवि को ऐसा प्रतीत होता है मानो फागन ु के साुंस लेने पर सब र्गह सुगुंध फैल गयी हो। िे चाहकर भी अपनी आाँखे इस प्राकृर्तक सुुंदरता से हटा नही सकते।

इस मौसम में बाग़-बगीचों, िन-उपिनों के सभी पेड़-पौधे नए-नए पत्तों से लद गए हैं, कहीुं यहीुं लाल

रुं ग के हैं तो कहीुं हरे और डाललयााँ अनचगनत फूलों से लद गए हैं क्र्ससे कवि को ऐसा लग रहा है र्ैसे प्रकृर्त दे िी ने अपने गले रुं ग बबरुं गे और सुगक्न्धत फूलों की माला पहन रखी हो। इस सिथव्यापी सुुंदरता का कवि को कहीुं ओऱ-छोर नर्र नही आ रहा है इसललए कवि कहते हैं की फागुन की सुुंदरता अट नही रही है ।

महत्वपर् ू ण प्रश्नोत्तर

1. कवव की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नह ं हट रह है ?

उत्तर:- फागुन का मौसम तर्ा दृश्य अत्युंत मनमोहक होता है । चारों तरफ का दृश्य अत्युंत स्िच्छ

तर्ा हरा-भरा ददखाई दे रहा है । पेड़ों पर कहीुं हरी तो कही लाल पवत्तयााँ हैं, फूलों की मुंद-मुंद खुश्बू हृदय को मुग्ध कर लेती है । इसीललए कवि की आाँख फागुन की सुुंदरता से हट नहीुं रही है । 2. प्रस्तत ु कववता में कवव ने प्रकृनत की व्यापकता का वर्णन ककन रूपों में ककया है ?

उत्तर:-प्रस्तुत कविता ‘अट नहीुं रही है ’ में कवि सूयक थ ान्त बत्रपाठी ‘र्नराला’ र्ी ने फागुन के सिथव्यापक

सौन्दयथ और मादक रूप के प्रभाि को दशाथया है ।पेड़-पौधे नए-नए पत्तों,फल और फूलों से अटे पड़े हैं,हिा सुगक्न्धत हो उठी है ,प्रकृर्त के कण-कण में सौन्दयथ भर गया है । खेत-खललहानों, बाग़-बगीचों, र्ीिर्न्तुओ,ुं पशु-पक्षक्षयों एिुं चौक-चौबारों में फ़ागुन का उकलास सहर् ही ददखता है । 3. फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से लिन्न होता है ?

उत्तर:- फागुन में सिथत्र मादकता मादकता छाई रहती है । प्राकृर्तक शोभा अपने पूणथ यौिन पर होती

है । पेड़-पौधें नए पत्तों, फल और फूलों से लद र्ाते हैं, हिा सुगक्न्धत हो उठती है । आकाश साफ-स्िच्छ

होता है । पक्षक्षयों के समूह आकाश में विहार करते ददखाई दे ते हैं। बाग-बगीचों और पक्षक्षयों में उकलास भर र्ाता हैं। इस तरह फागुन का सौंदयथ बाकी ऋतुओुं से लभन्न है ।

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3. कन्यादान (ऋतुराज)

कविता का भािार्थ:- इस कविता में कवि ने मााँ के उस पीड़ा को व्यतत ककया है र्ब िह अपने बेटी को विदा करती है । उस समय मान को लगता है र्ैसे उसने अपने र्ीिन भर की पूुंर्ी गाँिा दी। मााँ के हृदय में आशुंका बनी रहती है कक कहीुं ससुराल में उसे कष्ट तो नही होगा, अभी िो भोली है । वििाह के बाद

िह केिल सुखी र्ीिन की ककपना कर सकती है ककन्तु क्र्सने कभी दुःु ख दे खा नहीुं िह भला दुःु ख का सामना कैसे करे गी। कवि कहते हैं कक सुख सौभाग्य को िह अबोध बेटी पढ़ सकती है परन्तु अनचाहे दख ु ों को िह पढ़ और समझ नही सकती।

मााँ अपनी बेटी को सीख दे ते हुए कहतीुं हैं कक प्रर्तबबम्ब दे खकर अपने रूप-सौंदयथ पर मत रीझना। यह स्र्ायी नही है । मााँ दस ू री सीख दे ते हुए कहती हैं कक आग का उपयोग खाना बनाने के ललए होता इसका उपयोग र्लने र्लाने के ललए मत करना। यह सीख उन मानलसकता िाले लोगों पर कटाक्ष है र्ो दहेज़

के लालच में अपनी दक ु हन को र्ला दे ते हैं। तीसरी सीख दे ते हुए मााँ कहतीुं हैं कक िस्त्र आभूषणों को

ज्यादा महत्ि मत दे ना, ये स्त्री र्ीिन के बुंधन हैं। इनसे ज्यादा लगाि अच्छा नही है । मााँ कहतीुं हैं

लड़की होना कोई बरु ाई नही है परन्तु लड़की र्ैसी कमर्ोर असहाय मत ददखना। र्रूरत पड़ने पर कोमलता, लज्र्ा आदद को परे हटाकर अत्याचार के प्रर्त आिाज़ उठाना।

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

1. आपके ववचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कक लड़की होना पर लड़की जैसी मत ददखाई दे ना?

उत्तर:- मााँ ने ऐसा इसीललए कहा है तयोंकक िह लड़ककयों पर हो रहे शोषण से उसे बचाना

चाहती है | कोमलता और शालीनता लड़ककयों के गुण होते हैं क्र्से मााँ बनाकर रखने को कहती है परन्तु सार् ही यह भी कहती है की इतना कमर्ोर मत बनाना की लोगों का अत्याचार सहन करो चाँकू क कमज़ोर लड़ककयों का शोषण ककया र्ाता है । 2. 'आग रोदटयाँ सेंकने के ललए है । जलने के ललए नह ं (क) इन पंक्क्तयों में समाज में स्त्री की ककस क्स्थनत की ओर संकेत ककया गया है ?

उत्तर:- इन पुंक्ततयों में समार् द्िारा नाररयों पर ककए गए अत्याचारों की ओर सुंकेत ककया गया है । िह ससुराल में घर-गह ृ स्र्ी का काम सुंभालती है । सबके ललए रोदटयााँ पकाती है

कफर भी उसे अत्याचार सहना पड़ता है । उसी अक्ग्न में उसे र्ला ददया र्ाता है । नारी का र्ीिन कष्टों से भरा होता है ।

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(ख) माँ ने बेट को सचेत करना क्यों ज़रूर समिा?

उत्तर:- बेटी अभी सयानी नहीुं र्ी, उसकी उम्र भी कम र्ी और िह समार् में व्याप्त बुराईयों से अुंर्ान र्ी। मााँ यह नहीुं चाहती र्ी कक उसके सार् र्ो अन्याय हुए हैं िो सब उसकी बेटी को भी सहना पड़े। इसललए मााँ ने बेटी को सचेत करना ज़रूरी समझा।

3. 'पादठका थी वह धुँधले प्रकाश की कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्क्तयों की ' इन पंक्क्तयों को पढ़कर लड़की की जो छवव आपके सामने उिरकर आ रह है उसे शब्दबद्ध कीक्जए।

उत्तर:- लड़की बहुत भोली-भाली है । माता-वपता के सार् रहकर उसने कभी दुःु खों का सामना नहीुं ककया है | समार् में हो र्े घटनाओ से िह अनर्ान है । उसे लगता है कक उसका आने िाला र्ीिन भी सुखद सपना ही होगा | आने िाले बाधाओुं का उसे ज्ञान नहीुं है । 4. माँ को अपनी बेट अंनतम पज ूँ ी' क्यों लग रह थी?

उत्तर:- मााँ अपने बेटी के सबसे र्नकट होती है । िह अपने सारे सुख-दुःु ख अपनी बेटी के

सार् बााँटती है | िह उसे एक पर् ूाँ ी की तरह पालती है और सुंस्कार दे ती है । मााँ का लगाि बेटी सार् बहुत बढ़ र्ाता है इसललए उसे विदा करते समय उसे ऐसा लगता है मानो उसका सब कुछ र्ा रहा हो | उसे अपनी बेटी इतनी अुंर्तम पूाँर्ी' के समान लगती है । 5. माँ ने बेट को क्या-क्या सीख द ?

उत्तर:- मााँ ने अपनी बेटी को विदा करते समय र्नम्नललझखत सीख दी 1. मााँ ने बेटी को अपनी सुुंदरता पर गिथ न करने की और प्रशुंसा पर ना रीझने की सीख दी।

2. खुद को भोली और कमज़ोर मत ददखाना नहीुं तो लोग नार्ायज़ फायदा उठाएाँगें | 3. िस्त्र और आभूषणों के आकषथण से दरू रहना |

4. अत्याचारों के विरुद्ध आिाज़ उठाना और उनसे दख ु ी होकर आत्महत्या मत करना 6. आपकी दृक्टट में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचचत है ?

उत्तर:- कन्या के ललए दान शब्द का प्रयोग अनुचचत और अपमानर्नक है | दान िस्तुओुं का होता है व्यक्ततयों का नहीुं| बेटी के सार् मााँ-वपता का अनन्य सुंबुंध होता है । कन्या की अपनी स्ितुंत्रता है । शादी के बाद भी उसका र्ुड़ाि अपने मायके से बना रहता है |

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