Data Loading...
नवीन कुमार ममश्ा
कशमीर का सच
कशमीर का सच by
नवीन कुमार ममश्ा Edition copyright © नवीन कुमार ममश्ा 2022 ALL RIGHTS RESERVED. No part of this publication may be reproduced, stored in a retrieval system, or transmitted, in any form or by any means, electronic, mechanical, photocopying, recording and or without permission of the publisher. The views and opinion expressed in this book are the author’s own the fact are as reported by him which have been verified to the extent possible, and its publishers are not in any way liable for the same. This book is sold subject to the condition that it shall not, by way of trade or otherwise, be lent, resold, hired out, or otherwise circulated without the publisher’s prior consent in any form of binding or cover other than that it which it is published and without a similar condition including this condition being imposed on the subsequent purchase.
Published by Delhi Open Books
G/F, 4771/23, Bharat Ram Road, Daryaganj, New Delhi-110002 Ph.: 91-11-42408081 E-mail: [email protected] ISBN: 978-81-949346-0-8
Cover, Typesetting, and Book Design by ROHIT Printed & bound in India
कशमीर का सच नवीन कुमार ममश्ा सम्ादन जसवंत ससहं राजपूत हेमनत पूरन पटे ल
अनुक्रम भमू िका
7
1.
4-5 अगस्त, 2019 : कब क्ा हुआ
31
2.
आमिर मकसने और क्ों बो्ा कशिमीर िें ‘जहर’ का बमीज?
55
3. कशिमीर के नाि पर हिें हिेशा धोिे िें रिा ग्ा
65
4.
मरिटेन का ‘ग्ेट गेि’ कशिमीर की ददु श ्द ा का कारण कै से बना
79
5.
महदं ओ ु ं का कत्ेआि - िमह्ाओ ं से ब्ातकार, देि्ते हमी देि्ते कशिमीर हो ग्ा ्तबाह
89
6. कशिमीर ज् रहा था और नेहरू मशि्ा िें िाउंटबेटन कप् के साथ छुट्मी िना रहे थे
115
7.
मरिमटश अिेररकी कूटनमीम्त बनाि इस्ािमी एक्ता
124
8. आमिर िहातिा गांधमी और िाउंटबेटन चाह्ते क्ा थे?
131
9.
धोिेबाज शेि अबदलु ्ा, आमिर चाह्ता क्ा था?
141
10. कशिमीर षड््ंत्र के स- क्ा मरिमटश एजेंट था शेि अबदलु ्ा, क्ो मक्ा ग्ा था मगरफ्तार
154
11. पामकस्तानमी राष्ट्रपम्त मज्ा उ् हक का ऑपरे शन टोपाक
183
12. 1965 और 1971 के ्द्ध ु
199
13. कशिमीरमी पमं ड्त- सरे आि ब्ातकार, रा्तों-रा्त हत्ाए,ं ‘महदं ू मिटाओ-महदं ू भगाओ’ अमभ्ान
208
14. डॉ. फारूक अबदलु ्ा और उनका का््दका्
224
15. कशिमीर के आ्तंकी संगठन और राजनमीम्तक द्
228
16. राज्पा् जगिोहन
243
17. 1991 से ्ेकर 2019 ्तक के राजनमीम्तक हा्ा्त
263
18. अब कै समी रहेगमी पामकस्तान की मसथम्त
278
19. एक अचछे भमिष्् की उमिमीद
283
20. चमीन की बौि्ाहट और ्ताजा हा्ा्त
288
21. चमीन का मिश्ासघा्त और ग्िान घाटमी
291
22. आमिर चमीन की िश ं ा क्ा है?
298
23. कशिमीर का इम्तहास
302
24. कशिमीर का भौगोम्क और सांसककृ म्तक पररदृश्
321
25. शेि िोहमिद अबदलु ्ा की आतिकथा ‘आम्तशे-मचनार’ पर एक नजर
330
351
संदभ्द ग्ंथ
भूसमका रािा्ण के बा्काणड िें ्त् ु समीदास ने एक चौपाई म्िमी है... ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत दे खी ततन तैसी’ (अर्थात- जिसकी िैस् दृजटि होती, उसे वैसी ही मूरत निर आती है।)
कशिमीर के बारे िें भमी कुछ ऐसा हमी है। कशिमीर की ि्त्दिान सिस्ा अत्मधक जमट् है। िहां मपछ्े ्तमीन दशक से अमधक सि् से आ्तंकी और पकृथक्तािादमी महसं ा से बहु्त अमधक जन हामन हुई है। भार्त के सभमी क्ेत्रों के अनेक नौजिानों ने आ्तंकिाद की बम्िेदमी पर िदु को न्ोछािर कर मद्ा है। कशिमीर को सिझने के म्ए इसके प्ाचमीन इम्तहास पर दृमटिपा्त करना आिश्क है। इस प्स्तािना िें िैं अपने कशिमीर के व्मतिग्त अनभु ि न रि्ते हुए ्ेिक की भािनाओ ं को ्थारूप आपके सिक् प्स्त्तु कर रहा हू,ँ मजनहोंने कशिमीर की सांसककृ म्तक मिरास्त पर प्काश डा्ा है। कशिमीर के बारे िें भमी कुछ ऐसा हमी है। कशिमीर को मजसने मजस भािना ्ा मिचारधारा से देिा उसके सािने कशिमीर उसमी सिरूप िें िौजदू है। अग्ं ेजों ने इसे सािररक दृमटि से िहतिपणू ्द िाना, भार्त के कुछ ्ोगों ने इसे जिमीन के एक टुकडे से ज्ादा कुछ नहीं सिझा। ्ेमकन िेरमी नजर िें हि पकृथिमी पर मजस भ-ू भाग अथा्द्त ् राष्ट्र के मनिासमी हैं, उस भ-ू भाग का िण्दन अम्न, िा् ु एि ं मिष्ण ु परु ाण िें ्गभग सिानाथथी श्ोक के रूप िें है... उत्तरं यत् समुद्रसय, तहमाद्रश्ैव दक्षिणम्। वर्ष तद् भारतं नाम, भारती यत्र संततत।। (अर्थात् जहनद मह्स्गर के उत्तर में तर् जहम्लय पवथात के दजषिण में िो भू-भ्ग है, उसे भ्रत कहते हैं और वह्ं के सम्ि को भ्रती य् भ्रतीय के न्म से पहच्नते हैं।) 7
8•
नवीन कुमार ममश्ा
ि्त्दिान िें भार्त के मनिामस्ों का मपछ्े सैकडों-हजारों िषषों से महनद ू नाि भमी प्चम््त है और महनदओ ु ं के देश को महनदसु ्तान कह्ते हैं। मिश् के अनेक देश इसे महनद ि नागररक को महनदमी और महनदसु ्तानमी भमी कह्ते हैं। बकृहसपम्त आगि िें इसके म्ए मनमन श्ोक उप्बध है... तहमालयं समारम्भय यावद् इनदु सरोवरम। तं दे व तनर्मत दे शं, तहनदसु ्ानं प्रचषिते।। (अर्थात् जहम्लय से लेकर इनददु (जहनद) मह्स्गर तक देव पदुरुषों द््र् जनरमथात इस भूगोल को जहनददुसत्न कहते हैं। इन सब ब्तों से यह जनजचित हो ि्त् है कक भ्रतवषथा और जहनददुसत्न एक ही देश के न्म हैं तर् भ्रतीय और जहनदू एक ही सम्ि के न्म हैं।)
िहाभार्त का् िडं िें भमी इस राज् का िण्दन आ्ता है। अज्दनु ने कशिमीर के छोटे-छोटे राज्ों के साथ इस ्ोमह्त िडं ् को भमी जमी्त म््ा था। ्ोमह्त िडं ् का अथ्द के शरिा्ा प्देश है और उस सि् मकश्तिाड हमी के शर की फस् देने िा्ा राज् था। िहाभार्त िें इसका िण्दन है... तत: काशमीर कानवीशन् षितत्रयान षितत्रयर्षत्र:। वयजयल्ोतहतं चैव मण्डलैदश्षभभ: सह।।
इसका एक नाि कटििारक ्ा कटिमनिारक भमी कहा जा्ता है। परु ाण िें इसका उल्ेि इस प्कार है... कष्ट तनवारकं दे शं चंद्रभागातटक्स्तम्। `समागत: स नागे: काशमीरे ्भयो भयाक्नतत:।।
जब हि अपने देश (राष्ट्र) का मिचार कर्ते हैं ्तब अपने सिाज िें प्चम््त एक परमपरा रहमी है, मजसिें मकसमी भमी शभु का््द पर संकलप पढा अथा्द्त ् म््ा जा्ता है। संकलप सि्ं िें िहतिपणू ्द संके्त कर्ता है। संकलप िें का् की गणना एिं भि ू णड का मिस्तकृ्त िण्दन कर्ते हुए, संकलपक्ता्द कौन है, इसकी पहचान अमं क्त करने की परमपरा है। उसके अनसु ार संकलप िें भ-ू िणड की चचा्द कर्ते हुए बो््ते (दोहरा्ते) हैं मक जमबद्ू मीपे (एमश्ा) भर्तिणडे (भार्तिष्द) ्हमी शबद प््ोग हो्ता है। समपणू ्द सामहत् िें हिारे राष्ट्र की समीिाओ ं का उत्तर िें महिा्् ि दमक्ण िें महनद िहासागर का िण्दन है, परं्त ु पिू ्द ि पमचिि का सपटि
कश्मीर का सच
•9
िण्दन नहीं है। परं्त ु जब श्ोकों की गहराई िें जाए ं और भगू ो् की पसु ्तकों अथा्द्त ् एट्स का अध््न करें ्तभमी ध्ान िें आ जा्ता है मक श्ोक िें पिू ्द ि पमचिि मदशा का िण्दन है। जब मिश् (पकृथिमी) का िानमचत्र आि ं ों के सािने आ्ता है ्तो परू मी ्तरह से सपटि हो जा्ता है मक मिश् के भगू ो् ग्नथों के अनसु ार महिा्् के िध् सथ् ‘कै ्ाश िानसरोिर’ से पिू ्द की ओर जाए ं ्तो ि्त्दिान का इणडोनेमश्ा और पमचिि की ओर जाए ं ्तो ि्त्दिान िें ईरान देश अथा्द्त ् आ्ा्दन प्देश महिा्् के अमं ्ति छोर हैं। महिा्् 5000 पि्द्त शकृि ं ्ाओ ं ्तथा 6000 नमद्ों को अपने भमी्तर सिेटे हुए है। इसमी प्कार से मिश् के सभमी भगू ो् ग्ंथ (एट्स) के अनसु ार जब हि श्मी्ंका (मसंह्द्मीप अथिा मस्ोन) ्ा कन्ाकुिारमी से पिू ्द ि पमचिि की ओर प्सथान करें ग े ्ा दृमटि (नजर) डा्ेंगे ्तो महनद (इनद)ु िहासागर इणडोनेमश्ा ि आ्ा्दन (ईरान) ्तक हमी है। इन मि्न मबंदओ ु ं के पचिा्त ् हमी दोनों ओर िहासागर का नाि बद््ता है। इस प्कार से महिा््, महनद िहासागर, आ्ा्दन (ईरान) ि इणडोनेमश्ा के बमीच के समपणू ्द भ-ू भाग को आ्ा्दि्त्द अथिा भार्तिष्द अथिा महनदसु ्तान कहा जा्ता है। प्ाचमीन भार्त की चचा्द अभमी ्तक की, परं्त ु जब ि्त्दिान से 3000 िष्द पिू ्द ्तक के भार्त की चचा्द कर्ते हैं ्तब ्ह ध्ान िें आ्ता है मक मपछ्े 2500 िष्द िें जो भमी आकां्त ्नू ानमी (रोिन ग्मीक) ्िन, हूण, शक, कुषाण, मसर्न, प्तु ्दगा्मी, फ्ें च, डच, अरब, ्तक ु ्द , ्ता्तार, िगु ् ि अग्ं ेज आमद आए, इन सबका मिश् के सभमी इम्तहासकारों ने िण्दन मक्ा। परं्त ु सभमी पसु ्तकों िें ्ह प्ाप्त हो्ता है मक आकां्ताओ ं ने भार्तिष्द पर, महनदसु ्तान पर आकिण मक्ा है। संभि्त: हमी कोई पसु ्तक (ग्ंथ) होगमी, मजसिें ्ह िण्दन मि््ता हो मक इन आकिणकारर्ों ने अफगामनस्तान, (म्ांिार), श्मी्ंका (मसंह्द्मीप), नेपा्, म्तबब्त (मत्रमिटिप), भटू ान, पामकस्तान, िा्द्मीप ्ा बां््ादेश पर आकिण मक्ा। ्हां एक प्श्न िडा हो्ता है मक ्ह भ-ू प्देश कब, कै से ग् ु ाि हुए और सि्तंत्र हुए। प्ा्: पामकस्तान ि बां््ादेश मनिा्दण का इम्तहास ्तो सभमी जान्ते हैं। शेष इम्तहास मि््ता ्तो है परं्त ु चमच्द्त नहीं है। नमसते शारदे दे तव, काशमीर पुरवातसनी। तवामहं प्रा््षये तनत्ं, तवदां ज्ानानच दे तह मे।।
इस श्ोक के िाध्ि से शारदा पमीठ के ऐम्तहामसक िहति ्तथा भार्त से कशिमीर की अमभनन्ता के सपटि प्िाण मि््ते हैं। भार्त िें आज भमी जब मकसमी बचचे का उपन्न
10 •
नवीन कुमार ममश्ा
(जनेऊ) ससं कार मक्ा जा्ता है ्तो िह बा्क उत्तर मदशा की ्तरफ िडा होकर कह्ता है- ‘िैं मिद्ा ग्हण करने के म्ए शारदा पमीठ जा रहा हू।ँ ’ मफर बचचा ्तमीन कदि आगे च्कर प्णाि करके िापस ्ौट आ्ता है। ्तब ्ह िाना जा्ता है मक िह शारदा पमीठ से होकर आ्ा है। ्ह परंपरा इस ओर सपटि सक ं े ्त कर्तमी है मक प्ाचमीनका् िें ्ोग शारदा पमीठ िें जाकर मिद्ा ग्हण कर्ते थे। शारदा पमीठ का प्ाचमीन िमं दर ग् ु ाि कशिमीर के िजु फफराबाद मज्े की समीिा पर ककृ ष्ण-गंगा और िधिु म्त नमद्ों के संगि के मकनारे पर आज भमी मसथ्त है। भार्त मिभाजन से पिू ्द ्हां शारदा िे्ा ्ग्ता था, मजसिें परू े भार्त के ्ोग सममिम््त हो्ते थे। इसकी ऐम्तहामसक कथा इस प्कार है- सिद्रु िथं न के सि् सिद्रु से चौदह रतन मनक्े, मजनिें एक अिकृ्त क्श भमी था। देि्ताओ ं ने अिकृ्त पान मक्ा और शेष अिकृ्त को असरु ों से बचाने के म्ए रिह्ाजमी ने िाँ सरसि्तमी को शारदा के नए रूप िें अि्तरर्त करके उनहें अिकृ्त क्श दे मद्ा। उस अिकृ्त क्श को ्ेकर िाँ शारदा ककृ ष्ण-गंगा और िधिु म्त नमद्ों के संगि के मकनारे पकृथिमी के अदं र ्प्तु हो गई और उस सथान पर एक मश्ा प्कट ं हुई। िह सथान िाँ शारदा के नाि से मिख्ा्त हुआ और ज्ान-मिद्ा का कें द्र बन ग्ा। इसमी कारण कशिमीर का एक न्ा नाि शारदा देश पडा और कशिमीर की म्मप भमी शारदा म्मप बन गई। ्ह शारदा पमीठ िात्र धामि्दक रूप िें हमी प्मसद्ध नहीं रहमी, बमलक भार्त की एक्ता और एकातिक्ता का प्म्तमबंब भमी बन गई। आज शारदा पमीठ औकाफ ट्रसट के पास है और िहां पमु ्स की चौकी मसथ्त है। शारदा पमीठ ्तो ्हां एक उदाहरण िात्र है, कशिमीर िें ऐसे हजारों सथान हैं मजनका अमस्तति सदा के म्ए िति कर मद्ा ग्ा। बेशक, पामकस्तान के छ् और हिारे देश के ने्ततकृ ि की अदरू दमश्द्ता के कारण कशिमीर का 40 प्म्तश्त भ-ू भाग ग् ु ाि बन ग्ा। ्ेमकन आज भमी हि अपने ग् ु ाि कशिमीर को अपना िान्ते हैं। जमि-ू कशिमीर मिधानसभा िें आज भमी 25 कुमस्द्ां िा्मी पडमी हुई हैं, जो ्ह ब्ता्तमी हैं मक जब ग् ु ाि कशिमीर सि्तंत्र होगा ्तो िहां से चनु कर आने िा्े मिधा्क इन िा्मी पडमी कुमस्द्ों पर बैठकर िहां की जन्ता का प्म्तमनमधति करें गे। ्ेमकन भार्त के आजाद होने के बाद से शरू ु हुई कशिमीर की बबा्ददमी की कहानमी सा्त दशक ्तक मनरं्तर जारमी रहमी। ्े अ्ग बा्त है मक कभमी कि ्तो कभमी ज्ादा और भ्ािह सि् बमी्त्ता ग्ा, ्ेमकन कशिमीर की सिस्ा जस की ्तस बनमी रहमी। ्ा ्ं ू कहें मक जो सिस्ा होनमी हमी नहीं चामहए थमी उसे देश के पह्े प्धानित्रं मी पंमड्त जिाहर्ा् नेहरू ने जानबझू कर पैदा मक्ा। ि्त्दिान िें अनचु छे द 370 िें संशोधन होने के बाद एक छोटमी समी उमिमीद की मकरण जागमी है।
कश्मीर का सच
• 11
्े पसु ्तक भमी कशिमीर के उन पह्ओ ु ं को उजागर कर्तमी है मजनहें िमीमड्ा िें छा्मी मिचारधाराओ ं ने कभमी सािने ्ाने की कोमशश नहीं की। इसे दभु ा्द्् हमी कहा जाएगा मक कशिमीर पर अब ्तक जो म्िा ग्ा है उसिें अकादमिक अध्न ज्ादा और सथानमी् ्ोगों की सिं ेदनाओ ं का पररचा्क कि है। कशिमीर की जो छमि हिारे जेहन िें बमी्ते कुछ दशकों से बनाई गई है िो मसफ्द कशिमीर घाटमी ्तक समीमि्त है और आ्तंकिाद भमी ्हां के कुछ मज्ों ्तक समीमि्त रहा है। जबमक िास्ति िें देिा जाए ्तो कशिमीर ्तो बामलटस्तान, मग्मग्त, ्द्ाि, जमि ू और कशिमीर जैसे पाँच सभं ागों से मि्कर बना है। और ्हां की भौगोम्क मसथम्त, ससं ककृ म्त और बो्चा् की भाषा भमी मब्कु् अ्ग-अ्ग हैं। ्ेमकन कशिमीर की पहचान िमु स्ि बाहुल् कशिमीर घाटमी से हो रहमी है। 1931 से 1936 ्तक कशिमीर घाटमी िें जो आदं ो्न हुआ िो ्हीं ्तक समीमि्त था। इसका कशिमीर के अन् चार सभं ागों िें कोई असर नहीं था। भार्त की आजादमी के बाद पामकस्तान ने कशिमीर के बडे भ-ू भाग पर कबजा कर म््ा, ्ेमकन जब भार्त की फौज ने पामकस्तानमी फौज से कशिमीर को िा्मी कराना शरू ु मक्ा ्तो कशिमीर घाटमी के अ्ािा भार्तमी् फौजों को आगे बढने से रोक मद्ा ग्ा और ्े िान म््ा ग्ा मक परू ा कशिमीर पामकस्तानमी फौजों से िति ु हो ग्ा। ्ेिक ने इस पसु ्तक के िाध्ि से कशिमीर की उन सत् घटनाओ ं को सािने ्ाने का प््ास मक्ा है जो कशिमीर की ऐम्तहामसक और िास्तमिक मसथम्त की गिाहमी दे्तमी हैं। अनचु छे द 370 िें संशोधन के बाद कशिमीर के एक सनु हरे भमिष्् का उद् हुआ है। सभमी देशिामस्ों से अपेक्ा है मक िे कशिमीर िें 70 सा् िें हुई घटनाओ ं को क्िा कर आगे बढने िें सह्ोग करें । -- एनके सरिपाठी सेिामनिकृत्त सपेश् डमीजमी समीआरपमीएफ, जमि-ू कशिमीर (जमि-ू कशिमीर ि आ्तं ररक सरु क्ा िाि्ों के मिशेषज्)
पद्मश्ी सवजयदत्त श्ीधर की कलम से... कशिमीर भार्त की राजनमीम्त और बमी्ते ्मबे दौर का एक ऐसा अध्ा् है मजसिें िमु श्ां कि और कांटे ज्ादा हैं। कशिमीर की जडें हिें भार्तमी् िां्ि् और अध्ाति की परु ा्तन्ता का दश्दन करा्तमी हैं। ्ेमकन इसके राजनमीम्तक सिरूप की च्रचा्द करें ्तो ्हां आ्त्ताइ्ों और आकिणकारर्ों का बहु्त ्ंबा दिन और प््ताडना का मस्मस्ा ्ाद आ्ता है। अ्तमी्त िें कशिमीर िें ्त्िार की नोंक पर धि्द पररि्त्दन को अजं ाि मद्ा ग्ा, मजसके कारण िहां का पररदृश् हमी बद् ग्ा। जनसंख्ा का सिरूप और अनपु ा्त बद् ग्ा। ्े छटपटाहट िहां के ्ोगों िें रहमी है। मजन ्ोगों ने समद्ों पह्े धि्द पररि्त्दन मक्ा, जब उनहें अपनमी ग््तमी का अहसास हुआ ्तो उनहोंने मफर से अपने ि् ू धि्द िें आने की कोमशश की। ्ेमकन मजस कट्र्ता के कारण धि्द पररि्त्दन करा्ा ग्ा था, उ्तनमी हमी कट्र्ता और िि ू ्त्द ापणू ्द सोच की िजह से उनकी घर िापसमी सिमीकार नहीं की गई। इसके म्ए दोनों हमी धामि्दक धरु र्ों के क्ता्दध्ता्द हिेशा आ्ोचना और मनंदा के पात्र बने रहेंगे। कशिमीर िें ्हीं से ग्म्त्ों की शरुु आ्त हो गई और मफर ्े ्गा्तार हो्तमी च्मी गई। ं ्ेमकन ऐसा ्ग्ता है मक कशिमीर िें भार्त की आजादमी के पह्े से हमी कुछ ऐसमी मसथम्त्ां बनाई गई, मजससे उसका भा्् और भमिष्् हिेशा संकट िें बना रहा। त्रासदमी का मशकार ं रहा। कूटनमीम्तक और िैमश्क स्तर पर िहां ऐसे षड््ंत्र हो्ते रहे, मजससे कशिमीर िें कभमी मसथर्ता का िाहौ् बन हमी नहीं पा्ा। महदं सु ्तान एक िहादेश है। 15 अगस्त, 1947 को इस िहादेश के निजागरण की सफ् पररणम्त हुई थमी। इसिें थोडमी कसक भमी है। ऐसा नहीं है मक कशिमीर की सिस्ा को स् ु झा्ा नहीं जा सक्ता था। संभािनाए ं थीं। ्ेमकन उस सि् दमु न्ा के िदु िखु ्तार दरोगा मकसि के देशों ने इसे और उ्झा मद्ा। इन देशों ने मि्कर ऐसे बमीज बोए मक भार्त िें अमसथर्ता, असं्तोष और ढेर सारमी सिस्ाए ं हिेशा बनमी रहें। कशिमीर के साथ भमी ्हमी हुआ। ्हां के राजा हररमसंह पह्े अपने राज् को सि्तंत्र रिना चाह्ते थे। इधर, कशिमीर िें राजा हररमसंह के मि्ाफ आदं ो्न कर रहे शेि अबदलु ्ा के िन िें कशिमीर 13
14 •
नवीन कुमार ममश्ा
को एक अ्ग देश बनाने की पररकलपना थमी। इस बमीच कशिमीर पर पामकस्तानमी फौज ने कबाइम््ों की आड िें हि्ा कर मद्ा। पामकस्तानमी फौज ने श्मीनगर को घेर म््ा था। ्तब राजा हररमसहं ने भार्त िें कशिमीर के मि्् पत्र पर हस्ताक्र कर मदए। भार्तमी् फौज श्मीनगर पहुचं मी और कबाइम््ों एि ं पामकस्तानमी फौज को िदेडना शरू ु कर मद्ा। जब भार्तमी् सेना उनहें िदेड रहमी थमी, उसमी बमीच सबसे बडमी चक ू भार्त से हुई। प्धानित्रं मी जिाहर्ा् नेहरू िाि्ा स्ं ति ु राष्ट्र सघं िें ्े गए और ्द्ध ु मिराि की घोषणा कर दमी गई। भार्त की सेनाओ ं को आगे बढने से रोक मद्ा ग्ा। ्ह बडमी रणनमीम्तक भ् ू थमी, मजसका िामि्ाजा अभमी ्तक भगु ्त रहे हैं। िजहब के आधार पर भार्त का बंटिारा अग्ं ेजों ने मक्ा। भार्त से अ्ग होकर पिू थी और पमचििमी पामकस्तान नाि का एक न्ा देश मिश् पट् पर उभरा। िजहब का आधार हिेशा थोथा हो्ता है। इसकी कोई बमु न्ाद नहीं हो्तमी। ्ह मसद्ध मक्ा प्धानित्रं मी इमं दरा गांधमी ने। उनहोंने परू मी दमु न्ा को ब्ता्ा मक पमचििमी पामकस्तान मकस ्तरह से पिू थी पामकस्तान पर कहर ढा रहा है। पिू थी पामकस्तान से ्ािों ्ोग प्ा्न कर भार्त आ रहे थे। भार्त के सािने मिकरा् सिस्ा िडमी हो गई। अ्तं ्त: इमं दराजमी ने साहमसक फै स्ा कर्ते हुए कार्द िाई की और पामकस्तान के दो टुकडे कर मदए। एक न्ा देश मिश् पट् पर उभरा बां््ादेश। ्ेमकन भार्त को पमचििमी िोचचे पर जैसमी स्तक्द ्ता और सजग्ता बर्तनमी थमी, उसिें चक ू हो गई। कुछ हमी सा्ों बाद इसके पररणाि भमी सािने आने ्गे। भार्त िें आ्तंकिाद की शरुु आ्त हो गई। धमीरे -धमीरे पंजाब िें आ्तंकिाद चरि पर पहुचं ग्ा। देश पंजाब के आ्तंकिाद से जझू ्ता रहा। इधर पामकस्तान ने इस ्मबे दौर िें कशिमीर िें आ्तंकिाद की जडें जिानमी शरू ु कर दीं। पामकस्तान से घसु पैठ कर आए आ्तंकिामद्ों ने िजहबमी कट्रपन की आड िें भार्त से नफर्त करने का भाि ्हां के ्ोगों िें इस कदर भर मद्ा मक िे आ्तंकिामद्ों के िददगार बनने ्गे। रोजदारमी पर पतथरबाजमी का धधं ा करने ्गे। कशिमीरमी पंमड्तों को घाटमी छोडकर भागने को िजबरू कर मद्ा ग्ा। कशिमीर के िाि्ों िें िानिामधकार िामद्ों की भमू िका संमद्ध रहमी है। िे पतथरबाजों और आ्तंमक्ों के सिथ्दन िें िडे हो जा्ते हैं। जो आ्तंकी मनरपराध इसं ानों की जान ्े्ते हैं, िे िानि कै से हो गए? उनके कै से िानिामधकार? कशिमीर िें अ्गाि का भाि बनाए रिने िें अनचु छे द 370 ने बडमी भमू िका मनभाई है। कशिमीर की मिशेष पररमसथम्त देि्ते हुए इसे ्ाग ू कर्ते सि् संसद िें ब्ता्ा ग्ा था मक धमीरे -धमीरे ्े मनष्प्भािमी हो्तमी जाएगमी। ्ेमकन, उसके पमीछे कशिमीर की राजनमीम्त िें एक बडा धडा ्े सोच्ता था मक कशिमीर को भार्त से अ्ग करके िदु इसके शासक बनेंगे। कशिमीर िें अनचु छे द 370 ने एक मिष बे् का का््द मक्ा। जब कें द्र िें भार्तमी् जन्ता
कश्मीर का सच
• 15
पाटथी की पणू ्द बहुि्त की सरकार बनमी और नरें द्र िोदमी प्धानित्रं मी बने ्तो अनचु छे द 370 के मिशेष प्ािधान सिाप्त कर मदए। अगर कशिमीर सिस्ा को िहां की भौगोम्क दृमटि से देि ें ्तो आ्तंकिाद की सिस्ा मसफ्द िमु स्ि बहु् कशिमीर घाटमी िें है। जबमक इस राज् के जमि ू और ्द्ाि क्ेत्र िें आ्तंकिाद और अ्गाििाद की सिस्ा प्ा्: नहीं है। कें द्र सरकार ने राज् का पनु ग्दठन कर्ते हुए कशिमीर को दो कें द्र शामस्त राज्ों िें बांट मद्ा। कें द्र शामस्त प्देश बनने से दोनों का समीधा मन्ंत्रण कें द्र सरकार के हाथों िें आ ग्ा। ्ेमकन, अभमी ्े कहना िमु शक् है मक सबकुछ ठमीक हो ग्ा। कशिमीर िें अ्गाििाद का जहर कि होने िें काफी सि् ्गेगा। इस जहर को मनका्ने का काि फौज ्ा पमु ्स का नहीं है। फौज और पमु ्स का काि है ्ोगों की सरु क्ा करना और आ्तंकिाद की किर ्तोडना। ्ेमकन कशिमीर के ्ोगों का िानस कै से सकारातिक बना्ा जाए ्े सबसे बडमी चनु ौ्तमी है। कशिमीर िें ्ोगों को सिझाने की ऐसमी राजनमीम्तक िशमीनरमी का अभाि है, जो उनहें भार्त की िखु ्धारा से जोड सके । ्िु ा पत्रकार निमीन कुिार मिश्ा की पांडुम्मप के अध््न के बाद ऐसा अनभु ि हो्ता है मक पसु ्तक के ्ेिन िें काफी िेहन्त से संदभ्द जटु ाए गए हैं। एक ्तरह से कशिमीर का परू ा पररदृश् ्ोगों के सािने रि मद्ा है। मकसमी भमी मक्ताब की मिशेष्ता ्े नहीं हो्तमी मक िह कोई फै स्ा सनु ाए। न्ा्ाधमीश बनने का काि पत्रकार ्ा ्ेिक का नहीं हो्ता है। न्ा्ाधमीश हो्ते हैं पाठक। ्ेिक और पत्रकार का का््द हो्ता है मक सारे ्तथ् परू मी मनष्पक््ता के साथ प्स्त्तु कर मदए जाए।ं ्ह पाठकों पर छोड मद्ा जाए मक िे क्ा मनष्कष्द मनका््ते हैं। निमीन कुिार मिश्ा की ्ह पसु ्तक उनके पररश्ि को दशा्द्तमी है। जो भमी कशिमीर के बारे िें जानना चाह्ते हैं ्ा शोध करना चाह्ते हैं, ्ह उनके म्ए सहा्क मसद्ध होगमी, ऐसा िेरा िानना है। --पद्मश्ी सवजयदत्त श्ीधर िाधिराि सप्े सिकृम्त सिाचार पत्र संग्हा्् एिं शोध संसथान, भोपा् के सं्ोजक हैं
9
7 8 8 1 9 4
9 3 4 6 0 8
399